अखिल भारतीय राठौर क्षत्रिय महासभा
परिचय-
उन्नीसवीं एवं बीसवीं सदी के संधिकाल में जमींदारों व सामंतों के विशेषाधिकार, प्रभाव और जाति-व्यवस्था की कठोरता के समापन का, सामाजिक व आध्यात्मिक दशा सुधारने और अच्छे नागरिक तैयार करने का वातावरण बना। सामाजिक स्तर को ऊँचा उठाने के उद्धेश्य से संगठन बनाये जाने लगे। अतः एक सदी पूर्व इसी दौरान ‘क्षत्रिय’ की मूल पहचान को पुनर्जीवित करने के दृढ़ संकल्प, व समर्पित भावना, की प्रतिबद्धता को लेकर क्षत्रिय दीपकों ने ”श्री अखिल भारत वर्षीय राठौर (क्षत्रिय) महासभा” का गठन कर जन जागरण अभियान की ज्योति जलायी थी।‘‘अ.भा. राठौर क्षत्रिय महासभा‘‘ की स्थापना वर्ष 1900 के आसपास कभी हुई थी, ऐसा माना जाता है, किन्तु महासभा की प्रथम बैठक 01 दिसम्बर 1939 को हुई थी। दि. 01 दिसम्बर 1939 को मानिक चौक झांसी में डा. नर्मदा प्रसाद जी राठौर के सभापतित्व में महासभा की आयोजित बैठक में श्री नंदलालजी राठौर तत्कालीन प्रधान मंत्री, झांसी के व्यक्त उद्गार इस प्रकार थे:-
‘‘श्री परमपिता परमात्मा तथा श्री जगजननी माताजी को कोटिशः धन्यवाद् कि जिनकी असीम कृपा से आज हमारे भूले हुए राठौर बंधु अपने असली पथ पर आ गये हैं, इसमें कोई संदेह नहीं कि इस उत्थान कार्य के लिये लगभग 40 साल से प्रयत्न किया जा रहा है और कई बार छोटी–बड़ी सभायें भी भिन्न भिन्न शहरों में हो चुकीं हैं जैसे नाशिक, जबलपुर, सागर, रायपुर, हिंगोली इत्यादि, जिसमें कई प्रान्तों के राठौर बंधुओं ने शामिल होकर इस उत्थान–कार्य में सहयोग दिया है और जिसके फलस्वरूप आज भारत के कौने–कौने में श्री राठौर क्षत्रिय सभायें कायम होकर इस उत्थान कार्य के हवन कुण्ड में सहयोग की आहुति देकर इस महायज्ञ को सफल बनाने की कोशिश में हैं। इसी अवसर पर पूर्व निश्चय–अनुसार श्री मारवाड़ राजपूत एसोसियेशन जेाधपुर से चार, माननीय सरदारों का एक कमीशन भी आया है जिनसे हमारे समाज के राीति–रिवाज खानपान तथा अन्य प्रमाण इत्यादि के विषय में प्रश्न भी हुए जिनका कि महासभा पदाधिकारियों ने यथोचित संतोषप्रद उत्तर दिये। यहाँ यह कहना भी आवश्यक है कि हमारे चारों प्रिय सरदार महान सहृदय, प्रियभाव, उदार तथा अपूर्व विद्धान हैं, जिनकी स्मृति हम कभी नहीं भूल सकते। उनकी सहृदयता तथा प्रेम ने, बैठक में उपस्थित राठौरों को काफी प्रभावित किया, यही हमारे उत्थान की प्रथम सीढ़ी है, इस कमीशन ने भी अपनी उदारता से तीन दिन तक चलने वाली इस बैठक में राठौरों के साथ सहभागिता की। उसके लिये हम कमीशन के महानुभावों के आभारी हैं।‘‘
इस बैठक के कार्यवृत्त के कुछ मुख्य अंश इस प्रकार हैं:-
”श्रीमान पूज्य पंडित शंभु प्रसाद जी मिश्र हृदयनगर (मंडला) का भाषण हुआ जिसमें सब राठौरों के क्षत्रिय होने के सम्बंध सबूत पेश किये और एक लेख भी प्रस्तुत किया जो सबको पढ़कर सुनाया गया।
श्रीमान पूज्य पंडित मुरारीलालजी ने भी, जो तत्समय हमारे कुल गुरू थे, पूरी सभा के सामने हमारी वंशावली पढ़कर सुनाई जिससे सिद्ध हुआ है कि सब राठौर, क्षत्रिय समुदाय से ही हैं‘‘
एक अन्य प्रस्ताव डा0 नर्मदाप्रसादजी राठौर, सभापति ने पेश किया कि, ‘‘साहू वैश्य‘‘ सभा को लिखा जावे कि वह अपने इतिहास में राठौरों को सम्मिलित करने की त्रुटि न करें। यह प्रस्ताव सर्व सम्मति से पास हुआ। दूसरा प्रस्ताव सभापति ने यह भी रखा कि दमोह में प्रान्तीय साहू वैश्य सभा हो रही है उसमें कोई भी राठौर शामिल न हों और यहां के राठौर यदि क्षत्रिय राठौर हैं तो उनके पास एक प्रतिनिधि मंडल भेज कर समझाया जावे और उनको उस सभा में शामिल होने से मना करें। यह प्रस्ताव सर्व समिति से पास हुआ।
इसी सम्मेलन में अंतिम दिवस दि0 03.12.1939 को निम्न पदाधिकारी महासभा में सर्वसम्मति से मनोनीत किये गये –
- सभापति – डा0 नर्मदाप्रसादजी राठौर (समाज भूषण) जबलपुर,
- उप सभापति – श्री बाबूलालजी राठौर भगूर जिला नासिक,
- उप सभापति – श्री हीरालालजी राठौर, ग्वालियर, म.प्र .
- जनरल सेक्रेटरी- श्री नंदलालजी राठौर झांसी
- ज्वाइन्ट सेक्रेटरी (मंत्री) – श्री खूबचंदजी राठौर रायपुर
- ज्वाइन्ट उप मंत्री – श्री रामचरणजी राठौर कोंच,
- खजांची – श्री भैयालालजी राठौर, झांसी
- प्रतिनिधि सभा के चुने गये सदस्यगण – सर्वश्री-
- रामचरणजी राठौर सागर,
- शिवप्रसादजी जबलपुर
- बाबूलालजी पूना
- मंगूलालजी रायपुर
- राजधरजी ललितपुर
- मुन्नालालजी ललितपुर
- छोटेलालजी ,झाँसी उ.प्र.
- जीवनलालजी नरवर
जगन्नाथ प्रसाद जी ललितपुर – निरीक्षक01-03 दिसम्बर 1939 के इस सम्मेलन एवं पदाधिकारियों के मनोनयन की कार्यवाही और बैठक कार्यवृत्त को मुद्रित कराना, डा0 नर्मदाप्रसादजी को समाज भूषण से अलंकृत करना और ‘‘राठौर संदेश ”पत्रिका के प्रकाशन का निर्णय लिया गया।08 जून 1941 को महासभा की आगामी बैठक बिलग्राम में डा. श्री नर्मदाप्रसाद जी राठौर की अध्यक्षता में आयोजित की गई जिसमें बिलग्राम के सामाजिक बंधुओं के अलावा कानपुर, हरदोई, झाँसी, जबलपुर, शाहाबाद, नीमापुर आदि स्थानों के राठौर बंधु शामिल हुऐ। बिलग्राम की जनता और राठौर बंधुओं की ओर से बाबू श्री रघुनन्दन प्रसाद जी वकील ने बैठक में आये सभी महानुभावों का स्वागत किया। बैठक में पं. श्री शालिग्राम जी का भाषण राठौरों को उत्साहित करने वाला था। अन्त में सभापति ने अपना भाषण दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि, ये राठौरगण तेली नहीं बल्कि शुघ्द क्षत्रिय समुदाय से हैं, उन्होंने महासभा के अभी तक के कार्यों का वर्णन करते हुऐ मारवाड राजपूत ऐसोसिऐशन के कमीशन व महाराजाधिराज बांधवेश रीवा नरेश द्वारा की गयी सनद व कई ब्राम्हण, क्षत्रिय महानुभावों एवं नेताओं के पत्रों पर भी चर्चा की।