दृष्टि (Vision)
अखिल भारतीय राठौर क्षत्रिय महासभा के तत्कालीन पदाधिकारियों के द्वारा 25 मई 1963 को साधारण सभा में विधान स्वीकृत किया गया एवं 19 अक्टूबर 1964 को, महासभा की साधारण बैठक में इसी विधान का संशोधन किया गया। विधान के मुख्य अंश इस प्रकार हैं-
1- नाम और ध्वज- नाम- अखिल भारतीय राठौर क्षत्रिय महासभा, ध्वज -सूर्य चिन्हाकित और एक दूसरे को काटती हुई दो तलवारें रहेंगीं, रंग केसरिया होगा।
2- उद्येश्य- क्षात्र धर्म का प्रचार करते हुऐ राठौर बंधुओं के, सामाजिक,शैक्षणिक, सांस्कृतिक तथा भौतिक अभिउत्थान के लिये प्रयत्नशील रहना तथा मानव समाज में अभाव ,अंधकार तथा शोषण के विरूघ्द संघर्षशील रहना।
3- कार्यक्षेत्र- भारतवर्ष एवं विदेशों में भी यदि राठौर बंधुओं की संख्या अधिक हो उन स्थानों पर भी प्रतिनिधि सभा स्थापित हो सकेगी।
4- महासभा का स्वरूप और संगठन- प्रधानमंत्री तथा आवश्यकतानुसार एक से अधिक उप प्रधानमंत्री, कोषाध्यक्ष एवं एक निरीक्षक होगा|
5- कार्यकारिणी का गठन- प्रांतीय प्रतिनिधि शाखाओं के आधार पर कार्यकारिणी का गठन होगा, जिसकी संख्या विषम होगी।
6- प्रांतीय संगठन- सार्वदेशिक संगठन प्रांतीय इकाईयों में विभाजित होगा तथा प्रांतीय संगठन क्रमशः जिला, तहसील और स्थानीय इकाईयों में बँटा होगा।
7- पदाधिकारियों के अधिकार और कर्तव्य-
- प्रधान, संगठन का सर्वोच्चाधिकारी होगा। कार्यकारिणी के निर्णय में प्रधान का एक अतिरिक्त निर्णायक मत होगा। सभा के प्रत्येक कार्य की निगरानी प्रधान को करना होगा।
- प्रधान का आदेश सर्वमान्य होगा।
- यदि किसी अधिकारी के संम्बंध में आशंका हो तो उसको पद सेअस्थायी तौर पर स्थगित करने काअधिकार प्रधान को होगा किन्त 15 दिन के अन्दर इसकी सूचना कार्यकारिणी को देकर स्वीकृति लेना आवश्यक होगा।
- प्रधान के त्यागपत्र देंने पर उनके रिक्त स्थान की पूर्ति कार्यकारिणी द्वारा की जायेगी।
उक्त विधान की संरचना महासभा के तत्समय के पदाधिकारियों के द्वारा की गयी, जो इस प्रकार थे –
- अध्यक्ष – श्री दुलीचन्द जी राठौर, मध्यप्रदेश
- उपाध्यक्ष – श्री सत्यपाल जी, हिंगोली, महाराष्ट्र, श्री रामकृष्ण मोहनजी धाराशीव, म.प्र.
- मंत्री – श्री धनलाल जी सीहोर, म.प्र.
- उपमंत्री- श्री श्यामलाल जी नांदेड, महाराष्ट्र, श्री अनोखे लाल जी मूंदी
- कोषाध्यक्ष- श्री शंकर लाल जी जबलपुर